हाल ही में संपन्न आम चुनावों के बाद ईज ऑफ लिविंग पर ध्यान केंद्रित हुआ है और इसलिए रियल एस्टेट और हाउसिंग क्षेत्र आगामी बजट से यह उम्मीद लगाए हुए हैं कि इसमें अफोर्डेबिलिटी और आम आदमी के लिए जीवन को आसान बनाने के प्रावधान सम्मिलित होंगे।
विनोद बहल
पिछले कुछ वर्षों में, आवासीय रियल एस्टेट के अफोर्डेबल (किफायती) आवास खंड को बढ़ती प्रॉपर्टी की कीमतों और लंबे समय तक लगातार उच्च दरों पर ब्याज के रहने के कारण गंभीर रूप से क्षति पहुंची है। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) की क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के तहत पहली बार घर खरीदने वालों को होम लोन दरों पर ब्याज सब्सिडी बंद करने और किफायती आवास के डेवलपर्स को आयकर पर मिलने वाले लाभ वापस लेने से स्थिति और भी बदतर हो गई है। इसके परिणामस्वरूप, किफायती आवास की मांग और आपूर्ति दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। गौरतलब है कि यह जनवरी-जुलाई 2024 की अवधि में घरों की कुल बिक्री में किफायती घरों की हिस्सेदारी घटकर 27 प्रतिशत रह जाने से स्पष्ट है।
जहां एक ओर नियामक तंत्र में निरंतर सुधार के कारण निर्माणाधीन प्रॉपर्टीज में घर खरीदारों का विश्वास पिछले कुछ समय में बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर इन प्रॉपर्टीज की कीमतों में भारी बढ़ोतरी ने उनके सेंटिमेंट को खराब कर दिया है। एनारॉक की एक रिपोर्ट के अनुसार, एनसीआर और एमएमआर में घरों की कीमतों में 5 साल में 49 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं मैजिकब्रिक्स प्रॉपइंडेक्स की अप्रैल-जून 2024 तिमाही की रिपोर्ट के अनुसार, निर्माणाधीन संपत्ति की आपूर्ति में 11..7 प्रतिशत, तिमाही दर तिमाही वृद्धि हुई है जबकि कीमतों में 15.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हाल ही की आई प्रॉपइक्विटी रिपोर्ट बताती है कि कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, बढ़ते जॉब मार्केट और जीवन यापन की कम लागत के कारण टियर 2 शहरों में आवासीय प्रॉपर्टी लॉन्च की कीमतें वित्त वर्ष 20 से वित्त वर्ष 25 के बीच लगभग दोगुनी (94 प्रतिशत की वृद्धि) हो गई हैं
हालांकि आवासीय खंड में एक दशक में सबसे अधिक बिक्री देखी गई है, घरों की तेजी से बढ़ रही कीमतों ने बिक्री की गति पर ब्रेक लगा दिया है और घरों की बिक्री में 2024 की दूसरी तिमाही में 8 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। किफायती आवास की मांग और आपूर्ति में निरंतर गिरावट फ्लैगशिप ‘सबके लिए आवास’ मिशन के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
एक गरिमापूर्ण जीवन जीने में आसानी के लिए किफायती आवास उपलब्ध होना महत्वपूर्ण है। लेकिन दुर्भाग्य से आवास की सामर्थ्य अभी भी बहुत दूर है। आज, औसतन एक परिवार को अपने घरेलू आय का लगभग 24 प्रतिशत ईएमाई द्वारा आवासीय ऋण को चुकाने में खर्च करना पड़ता है। अगर देखा जाए तो मुंबई जैसे शहरों में 40 प्रतिशत आबादी झुग्गियों में रहने को मजबूर है और इसलिए आम जनता को किफायती आवास उपलब्ध कराना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।
इसलिए किफायती आवास को सरकारी नीतियों और बजटीय प्रोत्साहन के साथ पुनर्जीवित करने के लिए यही सही समय है। यह एक स्वागत योग्य संकेत है कि सरकार ने पहले ही शहरी और ग्रामीण भारत में 3 करोड़ किफायती घरों के निर्माण की घोषणा की है। इस वर्ष के बजट में इसके लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना होगी। निम्न और मध्यम वर्ग के लिए सरकार की नीतिगत पहल मांग को बढ़ाने के लिए पीएमएवाई के सीएलएसएस के तहत घर खरीदने वालों को ब्याज सब्सिडी बहाल करके और आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए किफायती आवास के डेवलपर्स को आयकर राहत फिर से शुरू करके सकारात्मक परिणाम दे सकती है। यह देखना होगा कि किफायती आवास को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार इस बजट में पीएमएवाई योजना को मूल्य सीमा और घर के आकार की पात्रता मानदंडों के संदर्भ में कैसे फिर से तैयार करती है।
कर छूट सीमा में वृद्धि करके या कर दरों को युक्तिसंगत बनाकर व्यक्तिगत आयकर में राहत जैसे बजटीय उपाय, घर खरीदने वालों की डिस्पोजेबल आय को बढ़ाने में मदद करेंगे और गृह ऋण पर मूल राशि और गृह ऋण पर भुगतान किए गए ब्याज दोनों पर कर छूट सीमा बढ़ाकर गृह ऋण पर राहत दी जा सकती है जिससे मांग को बढ़ाने में मदद मिल सकेगी। वहीं किफायती आवास के डेवलपर्स के लिए निर्माण के लिए वित्त दर और भूमि दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए बजटीय प्रावधान आपूर्ति पक्ष को बढ़ावा देने वाले साबित हो सकते हैं। बजट में डेवलपर्स को निर्माण वित्त को प्रोत्साहित करने के लिए एक केंद्रित नीति भी पेश की जानी चाहिए, जिसमें स्ट्रेस्ड/रुके हुए आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अधिक धन शामिल हो।
क्रेडाई-कोलियर्स डेवलपर्स रियल एस्टेट सेंटीमेंट सर्वे ने बताया है कि 50 प्रतिशत से अधिक डेवलपर्स इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए करों को तर्कसंगत बनाने और ब्याज दरों को कम करने की मांग कर रहे हैं। मांग और आपूर्ति पक्ष पर बजट में अगर कुछ ठोस राजकोषीय उपाय प्रदान किए जाते हैं तो वे इस सेक्टर में विकास को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे आम लोगों के लिए घर का स्वामित्व प्राप्त करना और अधिक किफायती हो जाएगा और बदले में रियल एस्टेट क्षेत्र के दीर्घकालिक सतत् विकास के लिए अधिक घरेलू और विदेशी निवेश भी आकर्षित होंगे।
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