टॉर्बिट ऑफिस रियल्टी मॉनिटर
वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसीज) विकास के प्रमुख चालकों के रूप में उभरे हैं जो भारत में ऑफिस रियल एस्टेट बाजार में बदलाव ला रहे हैं।
नाइट फ्रैंक- 3एआई की रिपोर्ट, ‘ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर एवं इंडिया ऑफिस मार्केट लैंडस्केप’ के अनुसार, वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) द्वारा ऑफिस रियल एस्टेट का अवशोषण 2023 में 19.69 मिलियन वर्ग फुट से बढ़कर 2027 तक 26 मिलियन वर्ग फुट तक पहुंचने का अनुमान है। 2018 में 16.99 मिलियन वर्ग फुट से लेनदेन गतिविधियों में 16% की वृद्धि हुई है, जीसीसी ने 2018 और 2023 के बीच आठ प्रमुख शहरों में 6,667 ऑफिसों के पट्टे (लीज पर देने) के सौदे पूरे किए हैं। जीसीसी की वृद्धि, प्रक्रियाओं को बढ़ाने और व्यापार में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत की क्षमता को उजागर करती है।.
आईटी/आईटीईएस क्षेत्र के जीसीसी इस सूची में सबसे आगे हैं, उसके बाद बीएफएसआई और कंसल्टिंग जीसीसी आते हैं। बीएफएसआई के लिए, मुंबई बीएफएसआई क्षेत्र के तहत जीसीसी के उच्चतम प्रतिशत के साथ सबसे आगे है और आईटी/आईटीईएस क्षेत्र में जीसीसी के उच्चतम प्रतिशत के साथ बेंगलुरु सबसे आगे है।
GRAPH: भारत में लगभग 80% जी.सी.सी. वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों को सेवा प्रदान कर रहे हैं
स्रोत: नाइट फ्रैंक रिसर्च
शिशिर बैजल, चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, नाईट फ्रैंक इंडिया ने कहा, “भारत की जीडीपी वृद्धि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ बनी हुई है, जो अपने मजबूत बुनियादी ढांचे और शीर्ष-स्तरीय प्रतिभाओं और कॉर्पोरेट संस्थाओं की तरफ निरंतर ध्यान आकर्षित कर रही है। वैश्विक व्यापार के गतिशील परिदृश्य में, भारत के वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) पारंपरिक भूमिकाओं से आगे बढ़कर वैश्विक रणनीति और स्थानीय सरलता के प्रमुख केंद्र बन गए हैं। जैसे-जैसे भारत वैश्विक जीसीसी नेटवर्क की आधारशिला के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करता जा रहा है, ये जीसीसी केंद्र रचनात्मकता और सहयोग के बेजोड़ केंद्र के रूप में उभर रहे हैं।”
समीर धनराजानी, सीईओ, 3एआई के अनुसार, “भारत में जीसीसी का भविष्य आशाजनक है, और यह अनुमान है कि वर्ष 2025 तक 1,900 से अधिक केंद्र होंगे। साथ ही उन्नत तकनीकों को एकीकृत करने, और नवाचार एवं स्थिरता को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। जीसीसी से खास तौर पर जनरेटिव एआई, ग्राहक-केंद्रित व्यवसाय विकास और सेवा में परिवर्तन के रूप में वैश्विक परिचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए जाने की उम्मीद है। वर्ष 2030 तक, वे महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजरेंगे और वैश्विक संगठनों का अभिन्न अंग बन जाएंगे। भारत के इन केंद्रों का नेतृत्व नए उत्पादों और सेवाओं के नवाचार पर आधारित अग्रणी द्वारा किया जाएगा, जो अपने वर्तमान स्वरूप से हटकर व्यवसाय की सफलता के आवश्यक चालकों की ओर बढ़ेंगे।”
ऑफिस कॉन्फ़िगरेशन के सौदे
2018 से 2023 के बीच, 8 शहरों में 50,000 वर्ग फीट के अंतर्गत के लगभग 5,349 जीसीसी केंद्रित ऑफिस के सौदों को अंतिम रूप दिए गया। 790 जीसीसी सौदे 50,000 और 100,000 वर्ग फीट के बीच हुए, जिन्हें मध्यम खंड के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। 100,000 वर्ग फीट से ऊपर के लगभग 528 जीसीसी सौदे 2018 और 2023 के बीच हस्ताक्षरित किए गए सबसे बड़े सौदे थे।
स्रोत: नाइट फ्रैंक रिसर्च
राहिल जिब्रान, नेशनल डायरेक्टर, ऑक्युपियर स्ट्रैटेजी एंड सॉल्यूशंस, नाइट फ्रैंक इंडिया, बेंगलुरु कहते हैं, “भारत के जीसीसी बाजार में अगले कुछ वर्षों में बेरोकटोक वृद्धि होने की उम्मीद है। वर्तमान में देश में 1600 से अधिक जीसीसी हैं और विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने वाले नए जीसीसी का विकास साल-दर-साल बढ़ रहा है। नए जीसीसी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रतिभा परिदृश्य पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुआ है, जिससे भारत में जीसीसी के विकास में मदद मिल रही है।”
हाइब्रिड मॉडल भारत में जीसीसी के लिए सबसे पसंदीदा और व्यवहार्य परिचालन मॉडल है
मौजूदा वैश्विक परिचालन मॉडल मुख्य रूप से स्थान के आधार पर भूमिकाओं को संतुलित करता है। नया वितरित मॉडल जोखिम और प्रभावशीलता को बनाए रखते हुए लागत को कम करने के लिए केंद्रीकृत रूप से घर से काम करने जैसी रणनीतियों को शामिल करता है। इस नए मॉडल के अंतर्गत भूमिकाओं का स्थानांतरण अधिक बचत और कम लागत को प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकता है। मॉडल चार्ट से, हाइब्रिड मॉडल भारत में जीसीसी के लिए अधिकतम लाभ देता है।
भारत, अमेरिका, लैटिन अमेरिका, चीन, यूरोप और एशिया प्रशांत क्षेत्र जैसे अन्य गंतव्यों के बीच जीसीसी के लिए एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। भारत, अमेरिका और चीन प्रतिभाओं को काम पर रखने में आसानी प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। इसके विपरीत, भारत और एशिया प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र वैश्विक औसत की तुलना में कम परिचालन लागत के लिए जाने जाते हैं। इसलिए, दुनिया भर में बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना परिचालन स्थापित करने या विस्तार करने के उद्देश्य से भारत को एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में देखते हैं और इस प्रवृत्ति में अमेरिकी कंपनियाँ सबसे आगे हैं।
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