वर्ष 2023 को रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक उल्लेखनीय वर्ष के रूप में याद किया जाएगा। यह एक ऐसा वर्ष रहा जिसमें रियल एस्टेट के आवासीय, वाणिज्यिक और वैकल्पिक क्षेत्रों ने वैश्विक प्रतिकूलताओं और मुद्रास्फीति की चिंताओं के बावजूद विश्वसनीय प्रदर्शन दिया। टॉर्बिट रियल्टी यहां पूरे वर्ष के दौरान भारतीय रियल एस्टेट के हाई (उच्च) और लो (निम्न) बिंदुओं को सूचीबद्ध कर रहा है।
विनोद बहल
हाईज़
1 अपार्टमेंट्स की बिक्री 15 साल के उच्चतम स्तर पर
वर्ष 2023 में 7 प्रमुख शहरों में 2.6 लाख इकाइयों की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री हुई, जबकि कैलेंडर वर्ष 2022 में 215621 इकाइयों की बिक्री हुई, जिसमें लगभग 20% की वृद्धि दर्ज की गई। जेएलएल के अनुसार, यह 2008 के बाद हुई सबसे अधिक बिक्री थी।
आरबीआई ने ब्याज दरों में लगातार हो रही बढ़ोतरी पर लंबी रोक लगाकर घर खरीदारों को राहत दी । मई 2022 से 25 बीपीएस तक लगातार छह बार दरों में बढ़ोतरी के बाद अप्रैल 2023 में पॉज़ बटन दबाया गया था।
3 आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने को बढ़ावा
किफायती और मध्यम आय वाले आवासों को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा अनिवार्य विशेष विंडो स्वामी इन्वेस्टमेंट फंड ने परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बड़ी सहायता प्रदान की। 16 नवंबर, 2023 तक, लगभग 218699 घर खरीदारों को लाभ पहुंचाने और 94367 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को अनलॉक करने के लिए कुल 37554 करोड़ रुपये के 342 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
4 बिल्डरों और घर खरीदारों को राहत
उत्तर प्रदेश सरकार ने रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा 197 डिफॉल्टर हाउसिंग परियोजनाओं के बकाया पर जुर्माना माफ करने और ब्याज दरों में कटौती की नई नीति की घोषणा की, जिससे संभावित रूप से 2.40 लाख घर खरीदारों के लिए अपने नाम पर संपत्ति पंजीकृत करने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
5 रेरा द्वारा आवासीय रियल्टी को बढ़ावा
नवंबर 2021 और नवंबर 2023 के बीच रेरा (आरईआरए) के तहत 1.16 लाख इकाइयों वाली 71307 परियोजनाओं के साथ पंजीकरण में 63% की भारी वृद्धि हुई और साथ ही लगभग 82755 रियल एस्टेट एजेंट भी पंजीकृत हुए, जो पिछले दो वर्षों में 47% अधिक है। घर खरीदारों को बड़ी राहत देते हुए, पिछले दो वर्षों में राज्यों में कुल 78903 शिकायतों के निपटान में 47% की वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं 86% परियोजनाएं समय पर पूरी भी हो गई हैं।
6 प्रॉपर्टी की कीमतों में वृद्धि
वर्ष 2023 रियल एस्टेट के लिए एक सकारात्मक वर्ष रहा क्योंकि शीर्ष शहरों में संपत्ति की कीमतों में उल्लेखनीय बढ़त देखी गई। कम इन्वेंट्री, खरीदारों की बढ़ती रुचि और किराये की बढ़ती लागत के कारण घरों की कीमतों में 10-15% की वृद्धि के साथ यह पिछले एक दशक में सबसे अधिक वृद्धि रही।
7 सेंटिमेंट इंडैक्स में वृद्धि
वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही के दौरान रियल एस्टेट क्षेत्र में सकारात्मक सेंटिमेंट में वृद्धि देखी गई। नाइट फ्रैंक इंडिया- नारेडको सेंटीमेंट इंडेक्स के 37वें संस्करण के अनुसार यह स्कोर 63 तक पहुंच गया, जो एक आशावादी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करने वाले 50 अंक वाले सूचकांक से काफी ऊपर है।
8 उभरता ग्रीन बिल्डिंग्स फुटप्रिंट
ग्रीन बिल्डिंग फुटप्रिंट में इस वर्ष प्रभावशाली 11000 ग्रीन बिल्डिंग परियोजनाओं के साथ वृद्धि दर्ज की गई और इस फुटप्रिंट ने जुलाई 2023 तक विस्मयकारी 10.27 बिलियन वर्ग फुट को कवर किया। आरआईसीएस डेटा के अनुसार, वर्तमान में भारत का 40% से अधिक वाणिज्यिक ग्रेड ए स्टॉक ग्रीन प्रमाणित है। इस साल आईजीबीसी ने भारत का पहला नेट जीरो कार्बन रेटिंग सिस्टम लॉन्च किया।
9 आईटी एसईजेड नीति द्वारा मिली बढ़त
एक प्रमुख नीतिगत पहल में, आईटी एसईजेड नियमों में संशोधन किया गया, जिसके तहत आईटी/आईटीईएस सेक्टर एसईजेड का एक डेवलपर, उस क्षेत्र के गैर-प्रसंस्करण क्षेत्रों के सीमांकन की अनुमति दे सकता है। इससे आईटी/आईटीईएस एसईजेड बनाने वाले डेवलपर्स को फायदा होगा और ऑफिस रियल एस्टेट की मांग भी बढ़ेगी।
10 भूमि अधिग्रहण हुआ आसान
एनसीएलटी मामलों के समाधान की दर में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, बैंकों और एआरसीज के माध्यम से और एनसीएलटी प्रक्रिया के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल और अधिक सुव्यवस्थित बनाया गया। इससे डेवलपर्स, विशेष रूप से बड़े डेवलपर्स को लाभ हुआ, जो इस प्रक्रिया के माध्यम से अपने विस्तार के लिए भूमि प्राप्त कर रहे हैं।
लोज़
1 बड़ी संख्या में तनावग्रस्त आवासीय इकाइयाँ
आवासीय परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की दिशा में विभिन्न पहलों के बावजूद, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, तनावग्रस्त आवासीय इकाइयों की संख्या एनसीआर में 2.40 लाख इकाइयों सहित 4.12 लाख के उच्च आंकड़े पर थी। बड़ी संख्या में रुकी हुई परियोजनाओं के अंतर्गत इन इकाइयों की लागत 4.08 लाख करोड़ रुपये है।
2 पीई निवेश में गिरावट
वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और उच्च ब्याज दर के माहौल के बीच अमेरिकी और कनाडाई फंडों का रियल एस्टेट क्षेत्र में पीई निवेश 44% गिरकर 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
3 एफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में आपूर्ति और बिक्री की घटती हिस्सेदारी
एनारॉक के अनुसार डेवलपर्स के मार्जिन घटने के कारण किफायती आवास की आपूर्ति हिस्सेदारी 2023 की तीसरी तिमाही में घटकर सिर्फ 18% ही रह गई जो 2021 की इसी अवधि में 24% थी। नाइट फ्रैंक के अनुसार, 50 लाख रुपये से कम के आवास के साथ ईएमआई में 20% की वृद्धि के कारण इस सेगमेंट में मांग में भी कमी आई और साल-दर-साल 10% की गिरावट देखी गई।
4 स्मार्ट सिटी मिशन को परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चुनौती का सामना करना पड़ा
अब जबकि जून 2024 की विस्तारित समय सीमा करीब आ रही है, इसके बावजूद लगभग 21% परियोजनाएं अभी भी पूरी होनी बाकी है।
विशेष रूप से उत्तर भारत में रियल एस्टेट डेवलपर्स पर विकास प्राधिकरणों का भारी बकाया है। डेवलपर्स पर नोएडा अथॉरिटी का 26570 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है, जबकि ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटीज को डेवलपर्स से क्रमश: 14309 करोड़ रुपये और 11000 करोड़ रुपये वसूलने हैं। हरियाणा में बिल्डरों पर राज्य सरकार का 10000-15000 करोड़ रुपये विकास शुल्क का बकाया है, जबकि पंजाब में निजी बिल्डरों का 700 करोड़ रुपये बकाया है।
घरेलू स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध रीट्स (आरईआईटीस) ने कॉमर्शियल रियल एस्टेट में देर से आई तेजी, आईटी क्षेत्र में मंदी और उच्च ब्याज दरों के कारण खराब प्रदर्शन किया। इन वजहों से शेयर बाजार में तेजी के बावजूद सूचीबद्ध रीट्स की कीमतों में 5%-16% की गिरावट आई।
इस साल स्टार्टअप बूम फीका पड़ गया क्योंकि रियल एस्टेट सेक्टर सहित तकनीकी स्टार्टअप को मिलने वाली फंडिंग में 5 साल में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक, टेक स्टार्टअप्स को मिली फंडिंग पिछले साल की तुलना में 72% कम थी।
वर्ष के दौरान एनसीआर की कुछ प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं फिर पिछड़ गईं। वर्षों से लंबित बहुप्रतीक्षित गुड़गांव मेट्रो एक्सटेंशन परियोजना इस साल भी शुरू नहीं हो सकी। इसी तरह द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना इस साल भी पूरी नहीं हो पाई।
पीएमएवाई-यू के तहत शहरी गरीबों को घर उपलब्ध कराने की केंद्र की प्रमुख योजना हाउसिंग फॉर ऑल अपने लक्ष्य जो शुरू में 2 करोड़ निर्धारित किया गया था को पूरा करने में काफी पीछे है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 23 अगस्त 2023 तक कुल 1.19 करोड़ शहरी घरों को मंजूरी दी गई थी जबकि जुलाई 2023 तक कुल 75.51 लाख घर ही पूरे हो पाए थे, जो मांग और आपूर्ति के बीच एक बड़े अंतर की ओर इशारा करती है खासकर जब यह योजना दिसंबर 2024 दिसंबर तक समाप्त होनी है।
एनसीएलटी मामलों की बड़ी संख्या के लिए जिम्मेदार रियल एस्टेट क्षेत्र में इनके समाधान का रिकॉर्ड खराब रहा। इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्ट्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आईबीबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, 2016 के अंत में इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्ट्सी कोड के अस्तित्व में आने के बाद से, 2023 की पहली छमाही तक दायर मामलों में से केवल 13% का ही समाधान किया गया था।
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