वृद्ध लोगों की जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि तथा संगठित कंपनियों की इस क्षेत्र में कम पहुंच औरा मांग-आपूर्ति के अंतर के कारण, वरिष्ठ आवास बाजार में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है।
देश की औसत आयु 2050 तक धीरे-धीरे 29 से बढ़कर 38 हो जाने की संभावना है। इसी तरह, वृद्ध लोगों (60 वर्ष से ऊपर) का अनुपात 2024 में लगभग 11 प्रतिशत से बढ़कर 2050 में 21 प्रतिशत होने की संभावना है । वैश्विक स्तर पर अगले तीन दशकों में (2050 तक) 60 वर्ष से अधिक आयु के 2.1 बिलियन लोगों में से भारत की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत होगी, जो वरिष्ठ आवास और वरिष्ठ देखभाल के क्षेत्र में मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि का संकेत है ।
नया बाज़ार मजबूत अवसर प्रस्तुत करता है
कोलियर्स इंडिया के चीफ एग्जक्युटिव ऑफिसर बादल याग्निक के अनुसार, वर्तमान में उभरता हुआ वरिष्ठ आवासीय बाजार निजी संगठित डेवलपर्स के लिए अप्रयुक्त बाजार का लाभ उठाने का एक आकर्षक अवसर प्रस्तुत करता है। संस्थागत खिलाड़ियों और अग्रणी रियल एस्टेट डेवलपर्स की बढ़ती रुचि के साथ, 2030 तक वरिष्ठ नागरिक आवास की मांग में पांच गुना वृद्धि होने की संभावना है।
कुल जनसंख्या में वरिष्ठ नागरिकों की वृद्धि के साथ, चिकित्सा, बीमा, आवास आदि सहित वरिष्ठ जीवन सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है। बढ़ती जीवन प्रत्याशा, परिवारों का एकलीकरण, उच्च आय स्तर, सेवानिवृत्ति के बाद के स्थिर जीवन का बढ़ता महत्व और बदलती जीवनशैली जैसे कारक विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवास की मांग को बढ़ा रहे हैं।
स्वास्थ्य और कल्याण पर बढ़ते ध्यान के साथ, आज वरिष्ठ नागरिक पिछली पीढ़ियों की तुलना में अधिक सक्रिय और व्यस्त हैं और वे रहने के लिए ऐसे विकल्प तलाश कर रहे हैं जो एक जीवंत और संतोषजनक जीवन शैली का समर्थन करने के लिए फिटनेस सेंटर, मनोरंजक गतिविधियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसी सुविधाएँ प्रदान करते हैं। कोलियर्स का अनुमान है कि वरिष्ठ आवास की वर्तमान मांग 18-20 लाख यूनिट है , जो अगले पाँच-छह वर्षों में काफी बढ़ सकती है । यह बढ़ती मांग रियल एस्टेट डेवलपर्स और संस्थागत निवेशकों के लिए आकर्षक अवसर पैदा करती है।
संगठित क्षेत्र में करीब 20,000 इकाइयों के साथ , भारत में वरिष्ठ आवास की वर्तमान उपलब्धता मात्र 1 प्रतिशत तक ही प्रारंभिक स्तर तक सिमट जाती है और यह मांग और आपूर्ति के बीच भारी अंतर को दर्शाता है। इसके विपरीत, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने 6-7 प्रतिशत प्रवेश दर के साथ वरिष्ठ आवास बाजार स्थापित किए हैं। इसके अतिरिक्त, कम जनसंख्या आधार का मतलब इन परिपक्व बाजारों में मांग आपूर्ति का अंतर भी काफी कम है। विमल नादर, सीनियर डायरेक्टर एवं हेड ऑफ रिसर्च, कोलियर्स इंडिया कहते हैं, “हालांकि मांग आपूर्ति का अंतर 2030 में भी उच्च बना रहेगा, लेकिन वर्तमान में 2-3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वरिष्ठ जीवन बाजार आकार 30 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ 2030 तक 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।”
भारत वरिष्ठ जीवन बाजार लैंडस्केप
2024 2030 एफ 2030 एफ बनाम 2024
मांग (इकाईयां लाखों में) | 18 – 20 | 28 – 30 | ~ 1.6 गुना |
आपूर्ति (इकाइयां लाखों में) | ~ 0.2 | ~ 0.9 | ~ 5 गुना |
प्रवेश (%) | 1% | 3% | + 200 बीपीएस |
बाज़ार साईज (यूएसडी बी एन) | 2 -3 | 10-12 | ~ 5 बार |
स्रोत : कोलियर्स
भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए वर्तमान में निजी डेवलपर्स 1 से 3 बीएचके या विला के माध्यम से दो स्वरूपों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवास की पेशकश कर रहे हैं । ये हैं स्वतंत्र आवास और सहायता प्राप्त आवास। स्वतंत्र आवास सुविधाओं को आमतौर पर वरिष्ठ नागरिक पसंद करते हैं जो अपनी दैनिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से प्रबंधित कर सकते हैं लेकिन सामुदायिक आवास की सुविधा चाहते हैं। वर्तमान में, भारत में वरिष्ठ नागरिकों के आवास खंड पर ध्यान केंद्रित करने वाले बहुत कम डेवलपर हैं।
कुछ प्रमुख संगठित डेवलपर्स में आशियाना, कोलंबिया पैसिफ़िक, परांजपे, अनतारा और प्राइमस सीनियर लिविंग शामिल हैं। आपूर्ति पक्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दक्षिणी शहरों में केंद्रित है, जिससे देश के अन्य हिस्सों में विकास और तरक्की की पर्याप्त गुंजाइश है। साथ ही, सहायता प्राप्त आवास की अवधारणा गति पकड़ रही है, जहां डेवलपर्स व्यक्तिगत इकाइयों में हाउसकीपिंग, चिकित्सा कोर्डिनेटर, फिजियोथेरेपिस्ट, परिसर में नर्सिंग परिचारक, आपातकालीन पैनिक अलार्म प्रतिक्रिया और पेशेवर सोसाईटी मेंटेनेंस जैसी अतिरिक्त सुविधा प्रदान करते हैं।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए आगे की राह
द्वितीय श्रेणी और आध्यात्मिक रूप से केन्द्रित शहरों में बढ रही है मांग:
वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवास के लिए उनके जीवन की धीमी गति, जीवन की सुगमता और कम जनसंख्या संबंधी बुनियादी ढांचे के तनाव के कारण टियर II शहरों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवासों में वृद्धि हुई है। अहमदाबाद, सूरत, कोयंबटूर, कोच्चि और पणजी जैसे शहर वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवास के लिए पसंदीदा शहर हैं। इस क्षेत्र में वृंदावन, अयोध्या, द्वारका और रामेश्वरम जैसे तीर्थ स्थलों में भी तेजी देखी जा रही है।
एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इंडिया (एएसएलआई ) के अनुसार वर्तमान में, वरिष्ठ नागरिकों की मांग का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा द्वितीय श्रेणी के शहरों से आता है। इन शहरों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीमित आवास सूची, देश भर में अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के इच्छुक निजी डेवलपर्स के लिए अपार संभावनाएं प्रस्तुत करती है।
निम्न और मध्यम आय वर्ग के लिए संभावनाएं वर्तमान में, भारत में संगठित वरिष्ठ नागरिक आपूर्ति मुख्य रूप से उच्च-मध्य और उच्च-अंत खंड को पूरा करती है। इसके अलावा, विशिष्ट डिजाइन और निर्माण तत्व अक्सर डेवलपर्स के लिए उच्च निर्माण लागत में तब्दील हो जाते हैं। बीच में निर्माण की बढ़ती लागत और परियोजना लाभप्रदता लक्ष्यों के कारण, डेवलपर्स निम्न और मध्यम आय वाले वरिष्ठ नागरिकों की परियोजनाओं को पूरा करने में असमर्थ हैं।
निर्माण प्रौद्योगिकी में उन्नति जैसे बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मॉडलिंग (बीआईएम), 3-डी प्रिंटिंग, रोबोटिक्स का उपयोग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), संवर्धित वास्तविकता (एआर) आदि जैसी निर्माण प्रौद्योगिकी में प्रगति वरिष्ठ जीवन परियोजनाओं में प्रवेश करने और उन्हें निवासियों के लिए लागत को कम करके और दक्षता बढ़ाकर सभी आय श्रेणियों के लिए सुलभ बनाने की क्षमता रखती है।
नवीन वित्तपोषण : तुलनात्मक रूप से उच्च मूल्य बिन्दुओं के कारण, संभावित अंतिम उपयोगकर्ताओं को अक्सर वरिष्ठ लोगों के लिए बनाए गए आवास में निवेश करने के लिए वित्तपोषण से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। देश में वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवास उत्पादों के विकास में बैंकों और वित्तीय संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है, खासकर मध्यम और किफायती खंड में। वित्तपोषण योजनाएँ वृद्ध नागरिकों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए कार्यक्रमों में ऋणों का पुनर्वित्तपोषण और परिक्रामी ऋण सुविधाएँ शामिल हो सकती हैं।
इसके अलावा, कम ब्याज दरें वरिष्ठ नागरिकों को आयु-उपयुक्त आवास और वरिष्ठ जीवन से जुड़ी सुविधाएँ खरीदने में सुविधा प्रदान कर सकती हैं। वरिष्ठ आवास परियोजनाओं के साथ बैंक-गठजोड़ वरिष्ठ जीवन संवितरण में संपूर्ण ऋण मूल्यांकन प्रक्रिया को तेज़ कर सकता है। इसके अतिरिक्त, बीमा कंपनियाँ डेवलपर्स के साथ साझेदारी की संभावना तलाश सकती हैं, जिससे लागत-संवेदनशील अंतिम उपयोगकर्ता के लिए निश्चित घटक आउटफ्लो में कमी आएगी।
सरकार से नीतिगत समर्थन: उन्नत नीति द्वारा दिया गए समर्थनको द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के विकास के लिए सुविधाएँ प्रदान करने में डेवलपर्स को एवं संस्थागत निवेशकों को बढ़ावा मिलेगा । मौजूदा सरकारी योजनाएं जैसे अटल वयो अभ्युदय योजना (एवीवाईएवाई) का उद्देश्य है वरिष्ठ नागरिक गृहों के संचालन और रखरखाव के लिए पात्र संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना।
इसके अलावा, कर-आधारित प्रोत्साहन का प्रावधान, विकास शुल्क में छूट , बढ़ी हुई भूमि कवरेज और समावेशी भूमि उपयोग क्षेत्रीय परमिट डेवलपर्स को ऐसी और अधिक परियोजनाएं शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने हाल ही में महारेरा के माध्यम से वरिष्ठ आवास परियोजनाओं के लिए मॉडल दिशा-निर्देशों का मसौदा तैयार किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों के अनुसार ही वरिष्ठ आवास सुविधाएं बनाई जाएं।
टाउनशिप में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों का एकीकरण: दिलचस्प रूप से कुछ अग्रणी डेवलपर्स अपने टाउनशिप्स के एक हिस्से मे वरिष्ठ नागरिकों के लिए समर्पित आवास बनाने पर विचार कर रहे हैं। इस तरह का एकीकरण न केवल वरिष्ठ नागरिकों के लिए जीवन को अधिक जीवंत बनाता है, बल्कि डेवलपर्स के लिए व्यवहार्यता और लाभप्रदता को बढ़ाता है, जिससे सभी के लिए लाभ की स्थिति बनती है। कुछ ब्रांडेड डेवलपर्स जैसे वाधवा ग्रुप, अडानी रियल्टी, मैक्स एस्टेट्स जैसी कम्पनियां पहले ही प्रमुख शहरों में एकीकृत वरिष्ठ आवास परियोजनाएं शुरू करने की अपनी योजना की घोषणा कर चुके हैं।
निवेशकों के लिए उभरता हुआ संभावित परिसंपत्ति वर्ग: वैकल्पिक रियल एस्टेट परिसंपत्तियों में अवसरों की तलाश में लगे संस्थागत निवेशक तेजी से वरिष्ठ नागरिक परिसंपत्ति वर्ग की उस क्षमता को महसूस कर रहे हैं जिसका दोहन अभी नहीं हो पाया है। वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती जनसंख्या के कारण वरिष्ठ नागरिकों के रहने की मांग में देश भर में लगातार वृद्धि होगी। वैश्विक कंपनियों के भारतीय बाजार में आने से, इस खंड में पेशकशों, व्यापार मॉडल और मूल्य निर्धारण रणनीतियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण नवाचार की सम्भावना है। जब भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए बाजार परिपक्व होगा तो वैकल्पिक मॉडल को गति मिलने की संभावना है। ऑपरेटर आधारित मॉडल – को-लिविंग और को-वर्किंग सेगमेंट के भविष्य में गति प्राप्त करने की संभावना है।
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