लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की वापसी से राजनीतिक स्थिरता के साथ ही रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल आर्थिक गति को बनाए रखने के लिए सुधार-आधारित नीतियों की निरंतरता सुनिश्चित होगी।
विनोद बहल
पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार की अनुकूल नीतियों की बदौलत रियल एस्टेट में उछाल आया है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि 18 प्रमुख सूचीबद्ध रियल एस्टेट डेवलपर्स ने वित्त वर्ष 24 के दौरान 1.17 ट्रिलियन रुपये की प्रॉपर्टी बेचीं। डेवलपर्स और वित्तीय संस्थान/निवेशक दोनों ही रियल एस्टेट क्षेत्र में वृद्धि को लेकर उत्साहित हैं। यह वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में बेहतर रियल्टी सेंटीमेंट इंडेक्स द्वारा परिलक्षित होता है। गौरतलब है कि आवासीय बाजार का परिदृश्य आशाजनक है क्योंकि आवासीय प्रॉपर्टी तेजी से बिक रही है और इस वजह से बिना बिकी इन्वेंट्री में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है। ऑफिस बाजार का परिदृश्य भी उत्साहजनक बना हुआ है क्योंकि इस क्षेत्र के हितधारकों को अगले 6 महीनों में लीजिंग, आपूर्ति और किराए में अच्छे प्रदर्शन का भरोसा है।
भारतीय रियल एस्टेट में निवेशकों का भरोसा भी उतना ही आशाजनक है। भारत ने भूमि और विकास स्थलों के लिए शीर्ष 5 वैश्विक सीमा-पार पूंजी स्थलों में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है। वित्त वर्ष 2011 और वित्त वर्ष 2024 के बीच, प्रॉपटेक क्षेत्र ने 4.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश आकर्षित किया है जो 40 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज करता है।
मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार लगातार सुधार के रास्ते पर चलते हुए निवेशकों और अन्य हितधारकों के विश्वास पर खरा उतरने के लिए प्रतिबद्ध है। उम्मीद है कि यह न केवल नए सुधार करेगी बल्कि रेरा और जएसटी जैसे प्रमुख सुधारों को भी नया रूप देगी। नई सरकार के पास सभी के लिए आवास (हाउसिंग फॉर ऑल) की अपनी प्रमुख योजना की सफलता सुनिश्चित करना एक चुनौतिपूर्ण कार्य होगा। किफायती आवास, जो सभी के लिए आवास की कुंजी है, को मांग और आपूर्ति दोनों ही मोर्चों पर झटका लगा है। जमीन की कीमतों में उछाल के कारण, घर असंगत रूप से महंगे और पहुंच से बाहर हो गए हैं, जिससे मांग में गिरावट आई। दूसरी ओर डेवलपर्स ने अपने मार्जिन की सुनिश्चितता के लिए लग्जरी आवास का विकल्प चुना, जिससे किफायती घरों की आपूर्ति प्रभावित हुई। जहां पिछले 5 वर्षों में लग्जरी आवास की बिक्री का हिस्सा 3 गुना बढ़कर 21 प्रतिशत हो गया है और वहीं दूसरी ओर किफायती आवास की हिस्सेदारी इसी अवधि के दौरान 37 प्रतिशत के उच्चतम स्तर से गिरकर 20 प्रतिशत पर आ गई है।
अब जबकि घरों की कीमतें आसमान छू रही हैं, सरकार को किफायती आवास के दायरे को बढ़ाने के लिए किफायती घरों की कीमत सीमा को बढ़ाना चाहिए। नई सरकार किफायती/सामूहिक आवास को पुनर्जीवित करने के लिए डेवलपर्स और घर खरीदारों दोनों को कर (टैक्स) के मोर्चे और वित्तपोषण (फंडिंग) की लागत पर कर प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है। यह उत्साहजनक है कि अंतरिम बजट के दौरान मोदी सरकार ने मध्यम वर्ग के लिए एक विशेष आवास योजना लाने की घोषणा की थी।अब आते ही मोदी ने 3 करोड नये किफायती घर बनाने की घोषणा कर दी है ।
आर्थिक विकास के इंजन के रूप में रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को देखते हुए, सरकार रियल एस्टेट क्षेत्र के दीर्घकालिक सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन करेगी, जिससे 2030 तक रियल एस्टेट को 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का बाजार बनाने का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।
1
2
3
4
5
6